रिवाइज कोर्स मुरली 24-06-1971  

                                                

निराकार ज्योतिर्बिन्दु स्वरूप परमपिता शिवपरमात्मा इस धरती पर अवतरित होकर ज्ञान और योग से धर्म की स्थापन कर रहे हैं।

परम शिक्षक शिवपरमात्मा के द्वारा बताई गई इस ज्ञान मुरली को आत्मिक स्थिति में पढ़ना चाहिए।

आत्मिक स्थिति में आने के लिए किये जाने वाले संकल्प :

1. मैं आत्मा शान्त स्वरूप हूँ, शिवबाबा मेरे परमपिता हैं।

2. मैं ईश्वरीय विद्यार्थि हूँ, बाबा मेरे टीचर हैं।

3. बाबा मेरे सद्गुरु हैं, मैं मास्टर सद्गुरु हूँ।

4. शिव परमात्मा मेरे जीवन साथी हैं, मैं शिव परमात्मा की जीवनसाथी हूँ।

5. सर्व संबंधों को बाबा से जोड़कर उस संबंध के कर्त्तव्य को ब्राह्मण जीवन में आचरण में लाने से आत्मिक स्थिति सहज हो जाती है।

आत्मिक स्थिति में, हर एक मुरली में, "बाबा मुरली मुझ से ही कह रहे हैं", ऐसे भाव से पढ़ना चाहिए।

अन्तर्मुखी बनने से फायदे

कोई भी नई इन्वेन्शन जब निकालते हैं, तो जितनी पावरफुल इन्वेन्शन होती है उतना ही अन्डरग्राउन्ड इन्वेन्शन करते हैं। आप लोगों की भी दिन प्रतिदिन यह इन्वेन्शन पावरफुल होगी। जैसे वह अन्डरग्राउन्ड इन्वेन्शन करते हैं वैसे ही आप भी जितना अन्डरग्राउन्ड अर्थात् अन्तर्मुखी रहेंगे उतना ही नई-नई इन्वेन्शन वा योजनायें निकाल सकेंगे। अन्डरग्राउन्ड रहने से एक तो वायुमण्डल से बचाव हो जायेगा; दूसरा - एकान्त प्राप्त होने के कारण मनन शक्ति भी बढ़ती है; तीसरा - कोई भी माया के विघ्नों से सेफ्टी का साधन बन जाता है। अपने को सदैव अन्डरग्राउन्ड अर्थात् अन्तर्मुखी बनाने की कोशिश करनी चाहिए। अन्डरग्राउन्ड भी सारी कारोबार चलती है।

वैसे अन्तर्मुखी होकर भी कार्य कर सकते हैं। ऐसे नहीं कि कोई कार्य नहीं कर सकते हैं। कार्य भी सभी चल सकते हैं। लेकिन अन्तर्मुखी होकर के कार्य करने से एक तो विघ्नों से बचाव; दूसरा समय का बचाव; तीसरा - संकल्पों का बचाव वा बचत हो जायेगी। प्रैक्टिस तो है ना। कभी-कभी अनुभव भी करते हो। अन्तर्मुखी हो बोलते भी हो। लेकिन बाहरमुखता में आते भी अन्तर्मुख, हर्षितमुख, आकर्षणमूर्त भी रहेंगे - कर्म करते हुए यह प्रैक्टिस करनी है। जैसे स्थूल कारोबार का प्रोग्राम बनाते हो, वैसे अपनी बुद्धि की क्या-क्या कारोबार वा क्या कार्य बुद्धि द्वारा करना है। जो प्रोग्राम बनाने के अभ्यासी होते हैं उनका हर कार्य समय पर सफल होता है।

इस रीति अपनी भी सूक्ष्म कारोबार है। बुद्धि एक सेकेण्ड में कहाँ से कहाँ जाकर आ भी सकती है। कार्य भी बहुत विस्तार के हैं। तो जब प्रोग्राम सेट करेंगे तब ही समय की बचत और सफलता अधिक हो सकेगी। यह प्रोग्राम बीच-बीच में बनाते रहो लेकिन सदाकाल के लिए। जैसे स्थूल कारोबार सेट करते-करते अभ्यासी हो गये हैं, वैसे ही यह भी अभ्यास करते-करते अभ्यासी हो जायेंगे। इसके लिए खास समय निकालने की भी आवश्यकता नहीं। कोई भी स्थूल कार्य जो भले अधिक बुद्धि वाला हो, उसको करते हुए भी यह अपना प्रोग्राम सेट कर सकते हो। प्रोग्राम सेट करने में कितना समय लगता है? एक-दो मिनट भी ज्यादा है। यह भी अभ्यास डालना है।

 अमृतवेले अपनी बुद्धि के कारोबार का प्रोग्राम भी पहले से ही सेट कर देना है। जैसे प्रोग्राम बनाया जाता है, फिर उसको चेक किया जाता है कि यह यह कार्य किया और कहां तक हुआ और कहां तक न हुआ। इसी रीति से यह भी प्रोग्राम बनाकर फिर बीच-बीच में चेक करो। जितने बड़े आदमी होते हैं वह बिना प्रोग्राम के नहीं जाते हैं। जैसे आया वैसे कर लिया, ऐसे नहीं चलते। उन्हों का एक-एक सेकेण्ड प्रोग्राम से बुक होता है। आप भी श्रेष्ठ आत्मायें हो, तो प्रोग्राम सेट होना चाहिए। कोई-कोई को प्रोग्राम बनाने का ढंग आता है, कोई को नहीं आता है। स्थूल कारोबार में भी ऐसे होता है। जितना-जिसको अपना प्रोग्राम सेट करना आता है उतना ही समझो अपनी स्थिति पर भी सेट होना आता है। नहीं तो बिना प्रोग्राम बनाने से जैसे बातें नीचे-ऊपर होती हैं वैसे स्थिति भी नीचे ऊपर होती है। सेट नहीं होती है। अच्छा।

मुरली पढ़ने के बाद परम शिक्षक सद्गुरु शिवबाबा से बताई गई विधि मनन चिंतन है।

मनन चिंतन करने की विधि, शिवबाबा चार मुरलीयों में बतायें हैं।

01-02-1979

23-12-1987

10-01-1988

07-04-1981

मनन शक्ति ही दिव्य बुद्धि की खुरक है।

हर वाक्य का रहस्य क्या है?, हर वाक्य को किस समय में?, किस विधि के द्वारा कार्य में प्रयोग करना है?, और हर वाक्य को दूसरे आत्माओं के प्रति सेवा में किस विधि से कार्य में लाना है?, ऐसे चार प्रकार से हर वाक्य को मनन करना है।

ज्ञान के मनन चिंतन के द्वारा समर्थ संकल्प, समर्थ स्थिति और शक्तिशाली स्मृति में रह सकते हैं।

ज्ञान की स्मृति (मनन चिंतन) द्वारा हमको ज्ञान दाता शिवबाबा की स्मृति स्वतः रहती है।

मनन चिन्तन करने के लिए उपयोगी संकल्प के लिए "समर्थ संकल्पों का खजाना" उपर के शिर्षकों में देखा जा सकता है।

मनन चिंतन मुरलीयों के लिए इस लिंक को स्पर्श करें।

बाप समान भव!