रिवाइज कोर्स मुरली 05-09-1975  

                                                

निराकार ज्योतिर्बिन्दु स्वरूप परमपिता शिवपरमात्मा इस धरती पर अवतरित होकर ज्ञान और योग से धर्म की स्थापन कर रहे हैं।

परम शिक्षक शिवपरमात्मा के द्वारा बताई गई इस ज्ञान मुरली को आत्मिक स्थिति में पढ़ना चाहिए।

आत्मिक स्थिति में आने के लिए किये जाने वाले संकल्प :

1. मैं आत्मा शान्त स्वरूप हूँ, शिवबाबा मेरे परमपिता हैं।

2. मैं ईश्वरीय विद्यार्थि हूँ, बाबा मेरे टीचर हैं।

3. बाबा मेरे सद्गुरु हैं, मैं मास्टर सद्गुरु हूँ।

4. शिव परमात्मा मेरे जीवन साथी हैं, मैं शिव परमात्मा की जीवनसाथी हूँ।

5. सर्व संबंधों को बाबा से जोड़कर उस संबंध के कर्त्तव्य को ब्राह्मण जीवन में आचरण में लाने से आत्मिक स्थिति सहज हो जाती है।

आत्मिक स्थिति में, हर एक मुरली में, "बाबा मुरली मुझ से ही कह रहे हैं", ऐसे भाव से पढ़ना चाहिए।

फरिश्ता स्वरूप में स्थिति

फर्शवासी मनुष्य से अर्शवासी फरिश्ता बनाने वाले, सदा लाइट रूप, प्रमुख हीरो पार्टधारी, जीरो शिव बाबा ने फरिश्ता बनने के पुरुषार्थी बच्चों के सम्मुख यह मधुर महावाक्य उच्चारे -

फरिश्ते स्वरूप की स्थिति में सदा स्थित रहते हो? फरिश्ते स्वरूप की लाइट में अन्य आत्माओं को भी लाइट ही दिखाई देगी। हद के एक्टर्स जब हद के अन्दर अपने एक्ट करते दिखाई देते हैं, तो लाइट के कारण अति सुन्दर स्वरूप दिखाई देते हैं। वही एक्टर, साधारण जीवन में, साधारण लाइट के अन्दर पार्ट बजाते हुए कैसे दिखाई देते हैं? रात-दिन का अन्तर दिखाई देता है ना? लाइट का फोकस उनके फीचर्स को ही परिवर्तित कर देता है। ऐसे ही बेहद ड्रामा के आप हीरो हीरोइन एक्टर्स, अव्यक्त स्थिति की लाइट के अन्दर हर एक्ट करने से क्या दिखाई देंगे? अलौकिक-फरिश्ते! साकारी की बजाय सूक्ष्म वतनवासी नजर आयेंगे। साकारी होते हुए भी आकारी अनुभव होंगे। हर एक्ट हरेक को स्वत:ही आकर्षित करने वाला होगा।

जैसे आज हद का सिनेमा व ड्रामा कलियुगी मनुष्यों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र है-छोड़ना चाहते हुए और न देखना चाहते हुए भी हद के एक्टर्स की एक्ट अपनी ओर खींच लेती है, लेकिन उसका आधार लाईट है, ऐसे ही इस अन्तिम समय में माया के आकर्षण की अति के बाद अन्त होने पर, बेहद के हीरो एक्टर्स, जो सदा जीरो स्वरूप में स्थित होते हुए जीरो बाप के साथ हर पार्ट बजाने वाले हैं और दिव्य ज्योति स्वरूप वाले जिनकी स्थिति भी लाइट की है और स्टेज पर हर पार्ट भी लाइट में हैं - अर्थात् जो डबल लाइट वाले फरिश्ते हैं - वे हर आत्मा को स्वत:ही अपनी तरफ आकर्षित करेंगे।

आजकल की दुनिया में ड्रामा के अतिरिक्त और कौनसी वस्तु है जो ऐसे फरिश्तों के नयनों जैसी आकर्षण करने वाली हैं? टी.वी.। जैसे टी.वी. द्वारा इस संसार की कैसीकैसी सीन-सीनरियाँ देखते हुए कई आकर्षित होते, अर्थात् गिरती कला में जाते हैं - ऐसे ही फरिश्तों के नयन दिव्य दूर-दर्शन का काम करेंगे। हर एक के नयनों द्वारा सिर्फ इस संसार के ही नहीं लेकिन तीनों लोकों के दर्शन करेंगे। ऐसे फरिश्तों के मस्तक में चमकती हुई मणि आत्माओं को सर्च-लाइट व लाइट हाऊस के समान स्वयं का स्वरूप, स्व-मार्ग और श्रेष्ठ मंज़िल का स्पष्ट साक्षात्कार करायेंगी। ऐसे फरिश्तों के युक्ति-युक्त बोल अर्थात् अमूल्य बोल, हर भिखारी आत्मा की रत्नों से झोली भरपूर करेंगे।

 जो गायन है देवताएं भी भक्तों पर प्रसन्न हो फूलों की वर्षा करते हैं - ऐसे आप श्रेष्ठ आत्माओं द्वारा विश्व की आत्माओं के प्रति सर्व-शक्तियों, सर्वगुणों तथा सर्व वरदानों की पुष्प-वर्षा सर्व के प्रति होगी। तब ही आप सब को देवता अर्थात् देने वाला समझ कर भक्त-गण द्वापर युग से देवताओं का गायन और पूजन करते आ रहे हैं, क्योंकि अन्त समय सर्व आत्माएँ, विशेषकर वे भारतवासी आत्माएँ देवता धर्म की अन्त तक वृद्धि पाने वाली आत्मायें जो सतयुग में आपके देवताई रूप की पालना तो नहीं लेंगी बल्कि बाद में इस धर्म की वृद्धि होने के समय से लेकर अन्त तक के समय में आपका देवता रूप, दाता रूप अथवा वरदाता रूप अनुभव करेंगी।

 आपके अन्तिम देवता रूप की अनेक प्राप्तियों के संस्कार व स्मृतियाँ सर्व आत्माओं में मर्ज रहती हैं अर्थात् समाई हुई रहती हैं। इस कारण प्रैक्टिकल रूप में सतयुगी सृष्टि में न आते हुए भी द्वापर में सृष्टि-मंच पर आते ही देवता स्वरूप की प्राप्ति की स्मृति इमर्ज हो जाती है और गायन-पूजन करते रहते हैं। समझा, अपने अन्तिम फरिश्ते स्वरूप को? ऐसे बेहद के एक्टर्स स्वत: अपनी तरफ आकर्षित नहीं करेंगे? यह ही डबल लाइट स्थिति और स्टेज आप सबको और बाप को प्रत्यक्ष करेगी। जीरो और हीरो दोनों प्रत्यक्ष होंगे। समझा (लाइट चली गई) फिर बाबा बोले - अभी भी देखो, लाइट से कितना काम होता है। अभी भी आप सबके आकर्षण करने की वस्तु लाइट के आधार पर है। अच्छा।

ऐसे सदा जीरो के साथ हीरो पार्ट बजाने वाले, सदा देने वाले देवता स्वरूप, विश्व में स्वयं को और बाप को प्रख्यात करने वाले, विश्व की सर्व आत्माओं की सर्व-मनोकामनायें सम्पन्न करने वाले, ऐसे फरिश्तों को फरिश्तों की दुनिया में रहने वाले और फरिश्तों की दुनिया से पार रहने वाले बापदादा का याद-प्यार और नमस्ते!

मुरली पढ़ने के बाद परम शिक्षक सद्गुरु शिवबाबा से बताई गई विधि मनन चिंतन है।

मनन चिंतन करने की विधि, शिवबाबा चार मुरलीयों में बतायें हैं।

01-02-1979

23-12-1987

10-01-1988

07-04-1981

मनन शक्ति ही दिव्य बुद्धि की खुरक है।

हर वाक्य का रहस्य क्या है?, हर वाक्य को किस समय में?, किस विधि के द्वारा कार्य में प्रयोग करना है?, और हर वाक्य को दूसरे आत्माओं के प्रति सेवा में किस विधि से कार्य में लाना है?, ऐसे चार प्रकार से हर वाक्य को मनन करना है।

ज्ञान के मनन चिंतन के द्वारा समर्थ संकल्प, समर्थ स्थिति और शक्तिशाली स्मृति में रह सकते हैं।

ज्ञान की स्मृति (मनन चिंतन) द्वारा हमको ज्ञान दाता शिवबाबा की स्मृति स्वतः रहती है।

मनन चिन्तन करने के लिए उपयोगी संकल्प के लिए "समर्थ संकल्पों का खजाना" उपर के शिर्षकों में देखा जा सकता है।

मनन चिंतन मुरलीयों के लिए इस लिंक को स्पर्श करें।

सदा कर्मयोगी भव!