रिवाइज कोर्स मुरली 28 -10-1975
निराकार ज्योतिर्बिन्दु स्वरूप परमपिता शिवपरमात्मा इस धरती पर अवतरित होकर ज्ञान और योग से धर्म की स्थापन कर रहे हैं।
परम शिक्षक शिवपरमात्मा के द्वारा बताई गई इस ज्ञान मुरली को आत्मिक स्थिति में पढ़ना चाहिए।
आत्मिक स्थिति में आने के लिए किये जाने वाले संकल्प :
1. मैं आत्मा शान्त स्वरूप हूँ, शिवबाबा मेरे परमपिता हैं।
2. मैं ईश्वरीय विद्यार्थि हूँ, बाबा मेरे टीचर हैं।
3. बाबा मेरे सद्गुरु हैं, मैं मास्टर सद्गुरु हूँ।
4. शिव परमात्मा मेरे जीवन साथी हैं, मैं शिव परमात्मा की जीवनसाथी हूँ।
5. सर्व संबंधों को बाबा से जोड़कर उस संबंध के कर्त्तव्य को ब्राह्मण जीवन में आचरण में लाने से आत्मिक स्थिति सहज हो जाती है।
आत्मिक स्थिति में, हर एक मुरली में, "बाबा मुरली मुझ से ही कह रहे हैं", ऐसे भाव से पढ़ना चाहिए।
मास्टर जानी-जाननहार की स्टेज से सर्वशक्तिवान् की प्रत्यक्षता
दीदी जी के साथ अव्यक्त बापदादा के उच्चारे हुए मधुर महावाक्य:-
किस विशेष कमज़ोरी को मिटाने के लिये विशेष संगठन चाहिये। महाकाली स्वरूप शक्तियों का संगठन चाहिये जो अपने योग-अग्नि के प्रभाव से इस वातावरण को परिवर्तन करे। अभी तो ड्रामा अनुसार हर एक चलन रूपी दर्पण में अन्तिम रिजल्ट स्पष्ट होने वाली है। आगे चल कर महारथी बच्चे अपने नॉलेज की शक्ति द्वारा हर एक के चेहरे से उन्हों की कर्म-कहानी को स्पष्ट देख सकेंगे। जैसे मलेच्छ भोजन की बदबू समझ में आ जाती है, वैसे मलेच्छ संकल्प रूपी आहार स्वीकार करने वाली आत्माओं की वायब्रेशन से बुद्धि में स्पष्ट टचिंग होगी। इसका यन्त्र है बुद्धि की लाइन क्लियर। जिसका यह यन्त्र पॉवरफुल होगा वह सहज जान सकेंगे।
शक्तियों व देवताओं के जड़ चित्रों में भी यह विशेषता है, जो कोई भी पाप-आत्मा अपना पाप उन्हों के आगे जाकर छिपा नहीं सकती। आपेही यह वर्णन करते रहते हैं कि हम ऐसे हैं! यह स्वत: ही वर्णन करते रहते। तो जड़ यादगार में भी अब अन्तकाल तक यह विशेषता दिखाई देती है। चैतन्य रूप में शक्तियों की यह विशेषता प्रसिद्ध हुई है, तब तो यादगार में भी है। यह है मास्टर जानीजाननहार की स्टेज, अर्थात् नॉलेजफुल की स्टेज। यह स्टेज भी प्रैक्टिकल में अनुभव होगी, होती जा रही है और होगी भी। ऐसा संगठन बनाया है? बनना तो है ही। ऐसे शमा-स्वरूप संगठन चाहिए, जिन्हों के हर कदम से बाप की प्रत्यक्षता हो।
जो सदा बाप में लवलीन अर्थात् याद में समाये हुए हैं, ऐसी आत्माओं के नैनों में और मुख में अर्थात् मुख के हर बोल में बाप समाया हुआ होने के कारण 200 शक्ति-स्वरूप के बजाय सर्वशक्तिवान् नजर आयेगा। जैसे आदि स्थापना में ब्रह्मा रूप में सदैव श्रीकृष्ण दिखाई देता था, ऐसे शक्तियों द्वारा सर्वशक्तिवान् दिखाई दे। ऐसे अनुभव हो रहा है ना, जो सदा बाप की याद में होंगे और मैंपन की त्याग-वृत्ति में होंगे, उन्हों से ही बाप दिखाई देगा। जैसे स्वयं मैं-पन भूले हुए हैं, वैसे दूसरों को भी उन्हों का वह रूप दिखाई नहीं देगा, लेकिन सर्वशक्तिवान का रूप दिखाई देगा। अच्छा!
इस मुरली का सार
1. बुद्धि की लाइन क्लियर होने से और अपनी नॉलेज की शक्ति के द्वारा हर एक चेहरे से उन्हों की कर्म-कहानी को जान सकते हैं।
2. जो सदा बाप की याद में होंगे, मैं-पन के त्याग-वृत्ति में होंगे उन्हों से ही सर्वशक्तिवान् बाप दिखाई
मुरली पढ़ने के बाद परम शिक्षक सद्गुरु शिवबाबा से बताई गई विधि मनन चिंतन है।
मनन चिंतन करने की विधि, शिवबाबा चार मुरलीयों में बतायें हैं।
01-02-1979
23-12-1987
10-01-1988
07-04-1981
मनन शक्ति ही दिव्य बुद्धि की खुरक है।
हर वाक्य का रहस्य क्या है?, हर वाक्य को किस समय में?, किस विधि के द्वारा कार्य में प्रयोग करना है?, और हर वाक्य को दूसरे आत्माओं के प्रति सेवा में किस विधि से कार्य में लाना है?, ऐसे चार प्रकार से हर वाक्य को मनन करना है।
ज्ञान के मनन चिंतन के द्वारा समर्थ संकल्प, समर्थ स्थिति और शक्तिशाली स्मृति में रह सकते हैं।
ज्ञान की स्मृति (मनन चिंतन) द्वारा हमको ज्ञान दाता शिवबाबा की स्मृति स्वतः रहती है।
मनन चिन्तन करने के लिए उपयोगी संकल्प के लिए "समर्थ संकल्पों का खजाना" उपर के शिर्षकों में देखा जा सकता है।
मनन चिंतन मुरलीयों के लिए इस लिंक को स्पर्श करें।